Publish Date: | Mon, 13 Mar 2023 06:36 PM (IST)
Papmochani Ekadashi 2023: सनातन धर्म में हर व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। विशेष तिथियों पर व्रत रखने से शरीर और मन शुद्ध होता है। साथ ही सभी मनकामनाएं पूरी होती हैं। व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है। इस बार 18 मार्च को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पापमोचिनी एकादशी का मतलब होता है पाप का नाश करने वाली एकादशी। कहा जाता है कि इस एकादशी के दिन किसी से बुरा या झूठ नहीं बोलना चाहिए। ऐसा करने से पूजा-व्रत का फल मिलेगा और सभी पाप मिट जाएंगे।
जानिए व्रत का महत्व
व्रत का मूल उद्देश्य शरीर को स्वस्थ रखना है और आध्यात्मिक रूप से मन और आत्मा को नियंत्रित रखना होता है।एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन की चंचलता समाप्त होती है। साथ ही धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखने से साधक को आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी प्रकार की मानसिक समस्या दूर हो जाती है।
पापमोचनी एकादशी: शुभ मुहूर्त
इस साल ये व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यानी शनिवार, 18 मार्च को रखा जाएगा। एकादशी तिथि के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 17 मार्च को रात 2:06 बजे होगी और 18 मार्च को सुबह 11:13 बजे इसका समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा। इस व्रत का पारण 19 मार्च को होगा।
एकादशी व्रत की विधि और नियम
- ये व्रत दो प्रकार से रखा जाता है- निर्जल और फलाहारी या जलीय व्रत। सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास ही रखना चाहिए।
- व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और श्रीहरि का ध्यान करें।
- अगले दिन सुबह स्नान करके एकादशी व्रत और पूजन का संकल्प लें।
- सुबह सूर्य को अर्घ्य दें और केले के पौधे में जल डालें।
- भगवान विष्णु को विधिपूर्वक पूजन करें और उन्हें विशेष रुप से पीले फूल अर्पित करें।
- श्री हरि के मंत्र का जाप करें – ॐ हरये नमः। साथ ही श्रीमद्भगवदगीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें।
- एकादशी की रात्रि में जागरण करके श्रीहरि की उपासना करने से हर पाप का प्रायश्चित हो सकता है।
Posted By: Shailendra Kumar