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Wednesday, March 22, 2023

कब है भगवान झूलेलाल की जयंती, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त एवं महत्व


Publish Date: | Sat, 18 Mar 2023 04:53 PM (IST)

चेटी चंड भारतवर्ष और पाकिस्तान सहित पूरे विश्व के सिंधी समुदाय के लोगों का एक सबसे लोकप्रिय त्योहार है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया चेटीचंड और झूलेलाल जयंती मनाई जाती है। ये दिन सिंधी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सिंधी नववर्ष चेटी चंड उगादी, गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्रि शुरू होने के अगले दिन चैत्र शुक्ल द्वितीया को मानते हैं जो इस वर्ष 22 मार्च 2023 को मनाई जाएगी। चेटीचंड के दिन सिंधी समुदाय के लोग भगवान झूलेलाल की श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं। मान्यताओं के अनुसार संत झूलेलाल भगवान वरुण देव का अवतार माने जाते हैं।

झूलेलाल जयंती का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 21 मार्च 2023 को रात 10 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और 22 मार्च 2023 को रात 08 बजकर 20 मिनट पर खत्म होगी। झूलेलाल जयंती या चेटीचंड का त्योहार 22 मार्च 2023 को मनाया जाएगा। चेटीचंड का शुभ मुहूर्त – शाम 06 बजकर 32 – रात 07 बजकर 14 (समय सीमा 42 मिनट)

कैसे मनाते हैं झूलेलाल का पर्व

सिंधी हिन्दू समुदाय के लोग चेटीचंड के पावन अवसर पर श्रद्धालु लकड़ी से मंदिर का निर्माण करते हैं। इस मंदिर में एक लोटे से जल और ज्योति प्रज्वलित करते हैं। जिसे बहिराणा साहिब भी कहा जाता है। भक्तजन झूलेलाल भगवान की प्रतिमा को अपने शीश पर उठाकर परम्परागत छेज नृत्य करते हैं। इस दौरान झांकी निकाली जाती है। आज भी समुद्र के किनारे रहने वाले जल के देवता भगवान झूलेलाल जी को मानते हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ये पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

झूलेलाल के अन्य नाम

भगवान झूलेलाल को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से भी पूजा जाता है।

चेटीचंड का इतिहास

जानकारी के अनुसार सिंधी समुदाय के अधिकांश लोग व्यापारी वर्ग से होते हैं। प्राचीन काल समुद्र पार देशों में यात्राओं के दौरान व्यापारी समुद्र में उनके भीषण संकटों को दूर करने एवं लूटपाट से बचने के लिए वरुण देवता की पूजा करते थे। वहीं, विश्व की अनेकों सभ्यताएं जो समुद्र या जल में यात्राएं करती हैं जल के देवता की पूजा अर्चना करती हैं।

चेटीचंड का महत्व

चैत्र मास को हिन्दू सिंधी समुदाय में चेट कहा जाता है और चांद को चंड, इसलिए चेटीचंड का अर्थ हुआ चैत्र का चांद। चेटीचंड को अवतारी युगपुरुष भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है। भगवान झूलेलाल जी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है। धार्मिक पुस्तकों के अनुसार झूलेलाल भगवान वरुण देव का अवतार माने जाते हैं। मान्यता भगवान झूलेलाल की पूजा से व्यक्ति की हर बाधा दूर होती है और व्यापार-नौकरी में तरक्की के राह आसान होती है।

डिसक्लेमर

इस लेख में दी गई जानकारी/ सामग्री/ गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ धार्मिक मान्यताओं/ धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें।

Posted By: Navodit Saktawat

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